Saturday, December 23, 2017

कौन थे?

जलती रही जोहर में नारियां
भेड़िये फ़िर भी मौन थे।
हमें पढाया गया अकबर'' महान,
तो फिर महाराणा प्रताप कौन थे।
सड़ती रही लाशें सड़को पर 
गांधी फिर भी मौन थे,
हमें पढ़ाया गांधी के चरखे से आजादी आयी,
तो फांसी चढ़ने वाले 25-25 साल के वो जवान कौन थे


वो रस्सी आज भी संग्रहालय में है
जिस्से गांधीजी बकरी बांधा करते थे
किन्तु वो रस्सी कहां है
जिस पे भगत सिंह , सुखदेव और राजगुरु हसते हुए झूले थे


" हालात.ए.मुल्क देख के रोया न गया...
कोशिश तो की पर मूंह ढक के सोया न गया".
जाने कितने झूले थे फाँसी पर,कितनो ने गोली खाई थी....
क्यो झूठ बोलते हो साहब, कि चरखे से आजादी आई थी....
मंगल पांडे को फाँसी
तात्या टोपे को फाँसी
रानी लक्ष्मीबाई को अंग्रेज सेना ने घेर कर मारा
भगत सिंह को फाँसी
सुखदेव को फाँसी
राजगुरु को फाँसी
चंद्रशेखर आजाद का एनकाउंटर अंग्रेज पुलिस द्वारा
सुभाषचन्द्र बोस को गायब करा दिया गया
भगवती चरण वोहरा बम विस्फोट में मृत्यु
रामप्रसाद बिस्मिल को फाँसी
अशफाकउल्लाह खान को फाँसी
रोशन सिंह को फाँसी
लाला लाजपत राय की लाठीचार्ज में मृत्यु
वीर सावरकर को कालापानी की सजा
चाफेकर बंधू (३ भाई) को फाँसी
मास्टर सूर्यसेन को फाँसी
ये तो कुछ ही नाम है जिन्होंने स्वतन्त्रता संग्राम और इस देश की आजादी में अपना सर्वोच्च बलिदान दिया
कई वीर ऐसे है हम और आप जिनका नाम तक नहीं जानते 
एक बात समझ में आज तक नही आई कि भगवान ने गांधी और नेहरु को ऐसे कौन से कवच-कुण्डंल दिये थे
जिसकी वजह से अग्रेंजो ने इन दोनो को फाँसी तो दूर, कभी एक लाठी तक नही मारी...
उपर से यह दोनों भारत के बापू और चाचा बन गए और इनकी पीढ़ियाँ आज भी पूरे देश के उपर अपना पेंटेंट समझती है

लेखक अज्ञात